मेरे पिता हमेशा कहते थे कि टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट है - वेस्टइंडीज सीरीज से पहले ईशान किशन
एक राज्य, दो होनहार प्रतिभाएं। भले ही शिखर पर पहुंचना बाकी है, लेकिन ईशान किशन का करियर ग्राफ साफ दर्शाता है कि एमएस धोनी के बाद झारखंड के नए हीरो को उभरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
धोनी जैसा धाकड़ रन-हिटर। गुस्ताख़ी माफ़। एक जबरदस्त विकेटकीपर बल्लेबाज। इसके अलावा सीमित ओवरों और लिस्ट-ए क्रिकेट में रिकॉर्ड तोड़ने के साथ ही साथ टेस्ट क्रिकेट की उपलब्धियां भी शानदार रही हैं...
ईशान किशन का टेस्ट डेब्यू अब ज्यादा दूर नहीं है। इसलिए हम प्रथम श्रेणी क्रिकेट के पॉकेट डायनमो के सफर पर एक नज़र डाल रहे हैं।
पॉकेट डायनमो की शुरुआत
प्रणव कुमार पांडे और सुचित्रा सिंह के बेटे ईशान किशन ने 2005 की शुरुआत में क्रिकेट में अपना कदम रखा था। उनका परिवार युवा ईशान को यह दिखाने के लिए ले गया था कि बड़े भाई - राज किशन - एक क्रिकेट चयन शिविर में कैसा प्रदर्शन कर रहे थे। यहां पर उत्तम मजूमदार ने ईशान की एक होनहार क्रिकेट खिलाड़ी के तौर पर पहचान की।
मजूमदार ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा, “कुछ भी करना, आपके लड़के का क्रिकेट बंद मत करना! (मजूमदार ने किशन सीनियर से यही कहा। यहीं से यह सब शुरू हुआ) मेरा मुख्य उद्देश्य उसे एक अच्छा बैक-फ़ुट खिलाड़ी बनाना था। अगर ईशान को शीर्ष पर सफल खिलाड़ी बनना है तो उसे बैकफुट पर खेलने में अच्छा होना होगा।”
7 से 11 साल की उम्र के बीच, ईशान के कभी न हार मानने वाले रवैये से मजूमदार काफी प्रभावित थे। उन्होंने उन दिनों को याद करते हुए कहा, “कई बार पुल खेलते समय उसे चोट लग जाती थी लेकिन वह कभी रोता नहीं था; वह थोड़ा पानी पीता और फिर से शुरू कर देता।”
जब वह 12 साल के हुए तो ईशान और उनके परिवार ने जगह को बदलने का विकल्प चुना और वे बिहार से झारखंड चले गए। रांची में एक जिला क्रिकेट टूर्नामेंट में SAIL (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) टीम के साथ कुछ शुरुआती सीख हासिल करने के बाद, ईशान ने सकारात्मक प्रगति की और अंततः अपनी पहली बड़ी सफलता हासिल की। उन्हें असम के खिलाफ झारखंड रणजी टीम के लिए 2014 में बुलावा आया।
पहला मौका, पहला शतक और प्रथम श्रेणी की उपलब्धि
2014/15: बल्लेबाजी की शुरुआत करते हुए उस समय 15 वर्षीय बाएं हाथ के खिलाड़ी ने असम के खिलाफ 126 गेंदों में नौ चौके लगाते हुए 60 रन बनाए। यह एडम गिलक्रिस्ट की तरह क्रिकेट गेंद को बाउंड्री के पार भेजने की क्षमता रखने वाले बाएं हाथ के विकेटकीपर बल्लेबाज की पहली सफलता थी। तीन मैच के बाद, हमारे पॉकेट डायनमो ने हैदराबाद के खिलाफ दोनों पारियों (66 और 84) में अर्धशतक लगाया। ये इस बात का संकेत था कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक स्टार खिलाड़ी तैयार हो रहा है।
2015/16: वह सौराष्ट्र के खिलाफ रणजी मुकाबले में अपने खेल को एक पायदान ऊपर ले गए, जहां उन्होंने 36 रन पर बल्लेबाजी करते हुए प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 500 रन पूरे किए और फिर क्रीज पर अपने समय के 47 मिनट के भीतर अपना अर्धशतक पूरा किया और फिर अपने कारवां को आगे बढ़ते हुए 69 गेंदों में 87 रन के साथ सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर हासिल किया।
नवंबर 2015 में, ईशान ने जम्मू-कश्मीर के खिलाफ पहली पारी में 124 गेंदों में 109 रन बनाकर जबरदस्त छलांग लगाई। एक साल के भीतर बाएं हाथ के बल्लेबाज ने एक बार नहीं बल्कि दो बार लाल गेंद वाले क्रिकेट में अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर हासिल किया।
2016/17: आर विनय कुमार और कृष्णप्पा गौतम के साथ वाली कर्नाटक की गेंदबाजी का सामना करते हुए, किशन ने पहली पारी में नाबाद 159 रन बनाए। इस मैच में ईशान की पारी शानदार रही।
छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए दिल्ली के खिलाफ ईशान की बल्लेबाजी तूफानी रही। 418 मिनट तक चली पारी में, बाएं हाथ के बल्लेबाज ने 35 बाउंड्री (21 चौके, 14 छक्के) लगाकर करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर (273 रन) बनाया। इस गेम के दौरान झारखंड के खिलाड़ी ने सौरभ तिवारी (238, 2013/14) को पीछे छोड़ते हुए सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी के साथ अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया। 10 मैचों में 799 रनों के साथ, उन्हें 2016/17 में भारत के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत-ए टीम में जगह मिली।
2017/18: एक और शानदार रणजी अभियान! हालांकि उन्होंने ट्रिपल-फिगर स्कोर नहीं बनाया, लेकिन 44 की औसत से 484 रन और चार अर्धशतक के साथ वह झारखंड के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।
2019/20: 2018/19 ईरानी कप में शेष भारत की ओर से खेलते हुए, अंततः उन्होंने दिलीप ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया। बल्ले से अधिक, पॉकेट डायनमो ने दस्तानों के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उन्होंने पांच लोगों को आउट (पांच कैच - पहली पारी में दो, दूसरी पारी में तीन) किया।
2020 से वर्तमान: 2019/20 रणजी ट्रॉफी सीजन की शुरुआत में, लिस्ट ए क्रिकेट में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी के रूप में धीरे-धीरे आगे बढ़ने और नेशनल ड्यूटी पर होने की वजह से ईशान किशन की उपस्थिति कम हो गई।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2023 बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारत की टेस्ट टीम में बाएं हाथ के बल्लेबाज को पहली बार शामिल किए जाने के बाद साल 2023 किशन परिवार के लिए कुछ नया उत्साह लेकर आया। वह 2021-23 डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलने वाली टीम में स्टैंड-बाय खिलाड़ी भी रहे।
टीम के साथी शुभमन गिल के साथ बातचीत में, ईशान ने एक किस्सा साझा किया कि कैसे उनके पिता का रेड-बॉल क्रिकेट खेलने की उनकी इच्छा में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
“जब मैं सफेद गेंद खेल रहा था तो वह (ईशान के पिता) मुझे याद दिलाते रहते थे कि टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट है, जहां एक बल्लेबाज को वास्तविक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उसके खेल कौशल का परीक्षण किया जाता है। उस स्तर पर खेलना बहुत बड़ी बात है। जब मुझे टेस्ट टीम में शामिल होने की खबर मिली तो मैं बहुत खुश हुआ और अगर मुझे मौका मिला तो मैं टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश करूंगा।”
48 प्रथम श्रेणी मैचों में 2985 रनों के साथ, हमें विश्वास है कि ईशान किशन को भारत के लिए टेस्ट कैप पहनते देखना केवल कुछ समय की ही बात है। हमारी एमआई पलटन के समर्थन से, हमारे ईशान किशन अपना खुद का इतिहास लिखने के लिए तैयार हैं!