सूर्यकुमार यादव की डेब्यू टेस्ट कैप: आखिर, उन्होंने यह उपलब्धि भी हासिल कर ही ली!

यह सब कुछ पूरी तरह से एक कहानी की तरह लगता है। लेकिन, सूर्यकुमार यादव अपने सपने को हकीकत में तब्दील करने का सफर तय कर रहे हैं। T20 विश्व कप का स्टार, 360 डिग्री हिटिंग, दुनिया में #1 T20I बल्लेबाज, तीन T20I शतक, ICC T20I क्रिकेटर ऑफ द ईयर; उन्होंने इन तमाम उपलब्धियों की बदौलत पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया है। अब उन्होंने भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू कर एक और नई उपलब्धि अपने नाम कर ली है। 

यह वास्तव में कुछ ऐसा है जो अकल्पनीय लगता है। दो साल पहले, आईपीएल के एक बेहद सफल सत्र के बाद उन्हें ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए तीनों फॉर्मेट की टीमों से बाहर रखा गया था। उस वक्त उनकी उम्र 30 साल की थी, तो क्या नेशनल टीम में चुने जाने के लिए उनके सभी रास्ते बंद हो गए थे? 

सूर्या ने अपना दूसरा T20 शतक जड़ने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "मैं हमेशा अपने बीते हुए समय को याद कर उसका आंकलन करने की कोशिश करता हूं। जब मैं अपने कमरे में होता हूं, या अपनी पत्नी के साथ यात्रा कर रहा होता हूं, तो हम बात करते रहते हैं कि दो-तीन साल पहले स्थिति कैसी थी। अब क्या स्थिति है, तब से अब में क्या कुछ बदल गया है, हम उस समय की चर्चा करते रहते हैं। जाहिर है, उस समय थोड़ी हताशा और निराशा थी लेकिन हम हमेशा यह प्रयास करते थे कि उसमें से भी कुछ सकारात्मक पहलू निकाले जा सकें। मैं एक बेहतर क्रिकेटर कैसे बन सकता हूं, कैसे एक कदम आगे बढ़ सकता हूं।" 

और अब, 32 साल की उम्र में, वह भारत के 305वें टेस्ट खिलाड़ी बन गए हैं। दरवाजे बंद होने की तो बात ही मत कीजिए, सूर्या दादा नए दरवाजे तोड़ रहे हैं। 

यह पहली बार नहीं है कि उन्हें टेस्ट टीम में शामिल किया गया है। साल 2021 के इंग्लैंड दौरे और उस वर्ष के अंत में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के दौरान, वह टीम के सदस्य थे, लेकिन वे सिर्फ एक रिप्लेसमेंट खिलाड़ी के तौर पर ही टीम के साथ यात्रा कर रहे थे। वह आधिकारिक टीम में शामिल नहीं थे। वे इसलिए टीम के साथ थे क्योंकि कोविड के कारण उस समय की स्थिति ऐसी थी कि कोई भी खिलाड़ी कभी भी बायो-बबल के नियमों की वजह से टीम से बाहर हो सकता था, ऐसे में वह टीम के लिए काम आ सकते थे। 

व्हाइट बॉल फॉर्मेट में उनकी शानदार सफलता को हल्के में आंकने की भूल मत कीजिए। सूर्या को ऐसा जादूगर मत समझिए जो सिर्फ कोई एक खास प्रकार की ट्रिक जानता हो। बल्कि, उन्होंने घरेलू सर्किट में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कड़ी मेहनत की है, रणजी ट्रॉफी और भारत ए के लिए रनों का अंबार लगाया है। उन सभी खूबसूरत शॉट के पीछे, एक ठोस आधार और एक ठोस डिफेंस छिपा हुआ है, जो उन्होंने तपती धूप और मुंबई के मैदानों में घंटों बिताकर हासिल किया है। 

लक्ष्य को लेकर उनका दृष्टिकोण और नजरिया हमेशा स्पष्ट था। स्काई ने कहा था, "जब हम क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं तो हम रेड बॉल से शुरुआत करते हैं और मैंने अपनी मुंबई टीम के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेला है … यह बहुत सही था और इसलिए मुझे टेस्ट प्रारूप के बारे में काफी कुछ पता है। मुझे क्रिकेट के इस प्रारूप में खेलने में भी अत्यधिक मजा आता है। उम्मीद है कि मुझे जल्द ही टेस्ट कैप मिल जाएगी।" 

"आ रहा है, वो (टेस्ट में चयन) भी आ रहा है।" 

आखिकार, आ ही गया!